Thursday, June 12, 2008
प्रेम और चारित्रिक दृढता - एरिक फ्रॉम
समजैविक प्रेम के उलट परिपक्व प्रेम में व्यक्ति की चारित्रिक दृढता और वैयक्तिकता बरकरार रहती है। प्रेम व्यक्ति के भीतर एक सक्रिय शक्ति का नाम है। यह वह शक्ति है जो व्यक्ति और दुनिया के बीच की दीवारों को तोड़ डालती है, उसे दूसरों से जोड़ देती है। प्रेम उसके अकेलेपन और विलगाव की भावना को दूर कर देता है। पर इसके बावजूद उसकी वैयक्तिकता बची रहती है। प्रेम एक ऐसी क्रिया है जिसमें दो व्यक्ति एक होकर भी दो बने रहते हैं।
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2 comments:
बेहद उम्दा.
ब्लॉग कारगर पहल है.
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शुभकामनाएँ
डा.चंद्रकुमार जैन
प्रेम के बारे में सशक्त सत जैसा पढ़ना बेहद अच्छा लगा, आशा है लिखते रहेंगे. शुक्रिया.
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उल्टा तीर
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